Sebi का धमाकेदार फैसला: FPIs के लिए ‘Diplomatic Passport’ से खुलेंगे भारतीय बाजार के दरवाज़े!

Saurabh
By Saurabh

भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (FPIs) के लिए एक बड़ा बदलाव आने वाला है। Securities and Exchange Board of India (Sebi) 12 सितंबर को अपने बोर्ड मीटिंग में एक ऐसा ‘automatic window’ लागू करने पर विचार कर रहा है, जो FPIs के लिए निवेश प्रक्रिया को बेहद आसान बना देगा। इस कदम से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए अब जटिल कागजी कार्रवाई से छुटकारा मिलेगा और उनके लिए बाजार तक पहुंच तेज और सुगम हो जाएगी। यह फैसला ऐसे समय में उठाया जा रहा है जब जुलाई से अब तक FPIs ने भारतीय इक्विटी बाजार से 83,000 करोड़ रुपये से अधिक निकासी की है। वैश्विक अस्थिरता और टैरिफ तनावों के कारण विदेशी निवेशक सतर्क हो गए हैं और बाजार से पैसा निकाल रहे हैं। ऐसे में Sebi का यह प्रस्ताव विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए ‘दूतावासीन मार्ग’ प्रदान करेगा, जो विमानक्षेत्रों पर diplomatic channel की तरह काम करेगा, ताकि चुनिंदा FPIs बिना किसी देरी के निवेश कर सकें। इस ‘automatic window’ का लाभ लगभग 70 प्रतिशत FPIs को मिलेगा, जिनमें प्रमुख sovereign wealth funds और pension managers शामिल हैं, जैसे कि GIC of Singapore, Abu Dhabi Investment Authority (ADIA), Norway’s Government Pension Fund, Canada Pension Plan Investment Board (CPPIB), और सार्वजनिक रिटेल फंड जैसे Goldman Sachs और Morgan Stanley। ये FPIs भारत में कुल मिलाकर लगभग 81 लाख करोड़ रुपये के संपत्ति प्रबंधित करते हैं। Sebi whole-time member Ananth Narayan ने हाल ही में एक कार्यक्रम में बताया कि अगर विदेशी निवेशकों को एक तरह का ‘diplomatic passport’ दिया जाएगा तो उन्हें भारतीय बाजार में निवेश करना काफी आसान हो जाएगा। Sebi के चेयरमैन Tuhin Kanta Pandey और Ananth Narayan ने हाल ही में Hong Kong और Singapore में 250 से अधिक FPIs से मुलाकात की, जहां उन्होंने निवेशकों की चिंताओं और बाधाओं को समझा

इन फीडबैक के आधार पर यह नया सिस्टम तैयार किया गया है। वर्तमान में, FPIs के पास कई तरह के रजिस्ट्रेशन विकल्प होते हैं, जो उनके निवेशक प्रकार, निवेश वाहन और निवेश कंपनी पर निर्भर करते हैं। प्रत्येक मार्ग के लिए दस्तावेज़ और अनुपालन की अलग-अलग जरूरतें होती हैं, जिससे प्रक्रिया जटिल और लंबी हो जाती है। लेकिन प्रस्तावित ‘automatic window’ के जरिए, ज्यादातर FPIs जो कम से कम 75 प्रतिशत सरकारी स्वामित्व या उनके घरेलू नियमों के तहत विनियमित हैं, वे एकीकृत रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से गुजरेंगे। इससे कागजी कार्रवाई में भारी कमी आएगी और विदेशी निवेशक तेज़ी से और निश्चित रूप से भारतीय बाजार में निवेश कर सकेंगे। इस नए मॉडल के अलावा, Sebi बोर्ड मीटिंग में घरेलू insurance कंपनियों और pension funds के लिए IPOs के anchor book में एक विशेष कोटा देने पर भी चर्चा होगी। वर्तमान में ये संस्थान anchor निवेशक के रूप में भाग लेते हैं, लेकिन domestic mutual funds की तरह इनके लिए कोई आरक्षित कोटा नहीं है। इस बदलाव से भारत के IPO बाजार को और मजबूती मिलेगी और दीर्घकालिक संस्थागत निवेशकों की भागीदारी बढ़ेगी। विदेशी पूंजी के बहिर्वाह को रोकने और भारतीय शेयर बाजार को आकर्षक बनाने के लिए Sebi का यह कदम बेहद रणनीतिक माना जा रहा है। FPIs की निकासी और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच ‘automatic window’ से विदेशी निवेशकों को एक भरोसेमंद और तेज़ मार्ग मिलेगा, जो भारत को वैश्विक निवेशकों के लिए एक पसंदीदा निवेश स्थल बनाएगा

इस फैसले से न केवल बाजार की स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा भी मजबूत होगा। Sebi की यह पहल भारतीय वित्तीय क्षेत्र के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकती है, जहां विदेशी धन का प्रवाह सुगमता से होगा और बाजार में नई ऊर्जा का संचार होगा। इस प्रकार, Sebi द्वारा सुझाया गया यह ‘diplomatic passport’ मॉडल भारतीय बाजार को वैश्विक निवेशकों के लिए और अधिक खुला, पारदर्शी और निवेश के लिए अनुकूल बनाएगा। आने वाले समय में इस पर बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी निवेशकों की भागीदारी फिर से बढ़ने की उम्मीद है, जो बाजार को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा

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