शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (FIIs/FPIs) ने कुल मिलाकर लगभग ₹1305 करोड़ की नेट सेलिंग की, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने ₹1821 करोड़ की नेट खरीदारी करके बाजार की कुछ हद तक रक्षा की। एक्सचेंज के प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, DIIs ने कुल ₹8,812 करोड़ के शेयर खरीदे लेकिन ₹10,633 करोड़ के शेयर बेचे, जिसके कारण उनका नेट खरीदारी ₹1821 करोड़ रही। वहीं, FIIs ने ₹8,096 करोड़ के शेयर खरीदे, लेकिन ₹9,401 करोड़ के शेयर बेचकर कुल मिलाकर ₹1305 करोड़ की नेट बिक्री की। वर्ष 2024 में अब तक की स्थिति देखें तो FIIs कुल मिलाकर ₹2.15 लाख करोड़ के शेयरों के नेट विक्रेता रहे हैं, जबकि DIIs ने ₹5.24 लाख करोड़ के शेयरों की नेट खरीदारी की है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि विदेशी निवेशक लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं, लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशक बाजार में भरोसा बनाए हुए हैं और खरीदारी कर रहे हैं। बाजार बंद होने पर Sensex मामूली गिरावट के साथ 7.25 अंक या 0.01 प्रतिशत नीचे आकर 80,710.76 पर बंद हुआ, जबकि Nifty ने 6.70 अंक या 0.03 प्रतिशत की हल्की बढ़त के साथ 24,741 के स्तर पर बंद किया। सेक्टोरल प्रदर्शन की बात करें तो Realty, FMCG और IT इंडेक्स लगभग 1 प्रतिशत गिरावट के साथ कमजोर दिखे, जबकि Auto इंडेक्स में 1.3 प्रतिशत की बढ़त देखी गई। इसके अलावा Media और Metal सेक्टर में भी 0.5 प्रतिशत की हल्की बढ़त रही। Nifty के प्रमुख गेनर्स में M&M, Eicher Motors, Maruti Suzuki, Dr Reddy’s Laboratories और Power Grid शामिल रहे, जिन्होंने बाजार को कुछ राहत दी। वहीं ITC, TCS, Cipla और HCL Technologies जैसे बड़े नाम नुकसान में रहे, जिनकी वजह से IT सेक्टर का दबाव बढ़ा
इस सप्ताह की ट्रेडिंग के बारे में Vinod Nair, Head of Research, Geojit Investments Limited ने बताया कि भारतीय शेयर बाजार ने सप्ताह की शुरुआत मजबूत की थी, लेकिन धीरे-धीरे उत्साह कम होता गया। GST रेशनलाइजेशन को लेकर आशंकाएं और वैश्विक व्यापार तनावों के बढ़ने से बाजार में दबाव आया। खासकर IT सेक्टर पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ा क्योंकि आर्थिक अनिश्चितता, बढ़े हुए ब्याज दर और भू-राजनीतिक खतरों के कारण उपभोक्ताओं के खर्च में कटौती की आशंका बनी हुई है। इसके विपरीत, उपभोक्ता-केंद्रित सेक्टर्स जैसे Auto और FMCG में तेजी देखी गई। इन सेक्टर्स को GST कटौती से घरेलू मांग बढ़ने और उपभोग में सुधार की उम्मीदों ने सहारा दिया। Vinod Nair ने आगे कहा कि आने वाले समय में बाजार की भावना मिलीजुली रह सकती है। घरेलू विकास से जुड़े सेक्टर GST राहत, मजबूत खपत और सरकारी खर्च से लाभान्वित हो सकते हैं, जबकि वैश्विक व्यापार वार्ता की अनिश्चितता जोखिम लेने की प्रवृत्ति को रोकती रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस माहौल में मल्टी-एसेट निवेश रणनीति प्रचलित हो सकती है। निवेशक आगामी अमेरिकी रोजगार रिपोर्ट पर भी नजर बनाए हुए हैं, जो फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, US nonfarm payrolls, बेरोजगारी दर और मुद्रास्फीति के आंकड़े तथा European Central Bank (ECB) के ब्याज दर निर्णय भी बाजार की दिशा तय करेंगे
कुल मिलाकर, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और घरेलू संस्थागत निवेशकों की खरीदारी के बीच बाजार में संतुलन बना हुआ है। हालांकि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और नीति निर्णय बाजार की चाल पर प्रभाव डाल रहे हैं, लेकिन घरेलू मांग और सरकारी प्रोत्साहन से बाजार में सकारात्मकता बनी रहने की उम्मीद है। निवेशकों को आने वाले दिनों में वैश्विक आर्थिक संकेतकों और घरेलू विकास के बीच संतुलन पर ध्यान देना होगा