Vodafone Idea (VIL) के शेयरों ने एक बार फिर से बाजार में तेजी का रुख दिखाया है। कंपनी के शेयरों में आज लगभग 13% की जबरदस्त उछाल दर्ज की गई, जो अप्रैल 1 के बाद का सबसे बड़ा एकल दिवसीय बढ़ोतरी है। इस तेजी के पीछे खबरें हैं कि केंद्र सरकार एक ऐसे निवेशक को शामिल करने की योजना बना रही है जो लगभग ₹8,800 करोड़ का निवेश करने को तैयार हो, ताकि इस भारी कर्ज में डूबी टेलिकॉम कंपनी को वित्तीय राहत मिल सके। यह निवेशक Vodafone Idea में 12-13% की हिस्सेदारी खरीदने के लिए सामने आ सकता है, जिसकी जानकारी सूत्रों से मिली है। बताया जा रहा है कि यह निवेश लगभग $1 बिलियन के बराबर होगा। कंपनी के प्रमोटर Aditya Birla Group (ABG) और UK की Vodafone को अपने हिस्से को घटाने का विकल्प दिया जा सकता है, क्योंकि सरकार अभी भी कंपनी में निवेश बनाए रखना चाहती है। वर्तमान में सरकार के पास Vodafone Idea में 48.99% की हिस्सेदारी है, जो उसने पिछले बकाया को इक्विटी में बदलने के बाद हासिल की है। वहीं ABG के पास 9.50% और Vodafone के पास 16.07% हिस्सेदारी है। हालांकि, पिछले महीने Minister of State for Communications, Chandra S. Pemmasani ने स्पष्ट कर दिया था कि सरकार Vodafone Idea को और कोई राहत देने के पक्ष में नहीं है। कंपनी पर Adjusted Gross Revenue (AGR) के तहत लगभग ₹83,400 करोड़ का बकाया है
मार्च 2026 से शुरू होने वाली वार्षिक किस्तें ₹18,000 करोड़ तक पहुंचती हैं। यदि ब्याज और जुर्माना भी जोड़ा जाए तो Vodafone Idea का कुल कर्ज ₹2 लाख करोड़ से अधिक हो जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि Vodafone Idea गिरती है, तो भारतीय टेलिकॉम बाजार में केवल Reliance Jio और Bharti Airtel ही प्रमुख खिलाड़ी रह जाएंगे। आज दोपहर 2:35 बजे के आसपास Vodafone Idea का शेयर National Stock Exchange पर ₹7.32 पर ट्रेड कर रहा था, जो 10.74% की तेजी दर्शाता है। पिछले एक महीने में VIL के शेयरों में लगभग 5% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि छह महीने के दौरान यह 7.51% गिरावट में रहा है। Vodafone Idea की Q1 FY26 के आंकड़े भी कंपनी की जटिल वित्तीय स्थिति को दर्शाते हैं। जून 30, 2025 को समाप्त तिमाही में कंपनी ने ₹6,608 करोड़ का समेकित घाटा दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है। इसका मुख्य कारण वित्तीय लागत में बढ़ोतरी और सरकारी करों का अधिक होना रहा। VIL की वित्तीय लागत सालाना आधार पर लगभग 7%, यानी ₹374 करोड़ बढ़कर ₹5,892.8 करोड़ हो गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह ₹5,518.6 करोड़ थी। इससे पहले जून 2024 की तिमाही में कंपनी ने ₹6,426.7 करोड़ का नुकसान दर्ज किया था
कंपनी को सरकार को देना वाला लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क भी लगभग 6% बढ़कर ₹947 करोड़ हो गया, जो पिछले साल ₹892 करोड़ था। दूसरी तरफ, Vodafone Idea की ऑपरेशनल राजस्व में लगभग 5% की बढ़ोतरी हुई है, जो ₹11,022.5 करोड़ तक पहुंचा, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह ₹10,508.3 करोड़ था। इस वृद्धि का मुख्य कारण Average Revenue Per User (ARPU) में 15% की बढ़ोतरी रही, जो ₹154 से बढ़कर ₹177 हो गया। इन सबके बीच, निवेशकों की नजरें इस नए निवेश पर टिकी हैं कि क्या यह कदम Vodafone Idea को आर्थिक संकट से उबार पाएगा या नहीं। कंपनी की वित्तीय स्थिति और भारी कर्ज के दबाव के चलते बाजार में इसके शेयरों की अस्थिरता बनी हुई है। लेकिन सरकार द्वारा निवेशकों को जोड़ने की योजना ने शेयर बाजार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया है और Vodafone Idea के शेयरों में तेजी का मार्ग प्रशस्त किया है। टेलिकॉम सेक्टर की इस जद्दोजहद में Vodafone Idea का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि क्या नया निवेश कंपनी की वित्तीय मजबूती को बढ़ा सकता है और बाजार में इसकी प्रतिस्पर्धा को कायम रख सकता है। फिलहाल, निवेशक और बाजार विश्लेषक इस खबर को कड़ी निगाह से देख रहे हैं। यह निवेश Vodafone Idea के लिए एक नई शुरुआत साबित हो सकती है या फिर कर्ज के बोझ तले दबने वाली कंपनी की कहानी का अंत। समय ही बताएगा कि Vodafone Idea के शेयर इस नए अध्याय को कैसे स्वीकार करते हैं