Indian Stock Market में क्यों दिख रहा Asian Peers से पीछे का प्रदर्शन? जानिए बड़ी वजहें

Saurabh
By Saurabh

भारतीय शेयर बाजार इस समय एशियाई बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर रहे हैं। 5 सितंबर को Sensex में लगभग 0.42 प्रतिशत की गिरावट और Nifty 50 में 0.38 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जिससे Nifty 24,650 के स्तर से नीचे ट्रेड कर रहा था। जबकि इसी दौरान जापान का Nikkei इंडेक्स लगभग 1 प्रतिशत बढ़ा और Hong Kong का Hang Seng 1.4 प्रतिशत से अधिक ऊपर बंद हुआ। इस असंतुलन के पीछे कई कारण हैं जिनका विश्लेषण बाजार विशेषज्ञों ने किया है। सबसे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति Trump द्वारा जापान पर ऑटोमोबाइल इम्पोर्ट टैरिफ में भारी कटौती की घोषणा ने जापानी बाजार को मजबूती दी, जबकि भारतीय बाजार इस सकारात्मक प्रभाव से लाभान्वित नहीं हो पाया। विदेशी निवेशकों की लगातार हो रही निकासी (Foreign Outflows) ने भारतीय बाजार की तेजी को बाधित किया है। Religare Broking के SVP Ajit Mishra के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का पैसा भारत से बाहर निकलना और अमेरिका के टैरिफ की वजह से भारत की आर्थिक वृद्धि पर संभावित असर, इसके साथ ही भारतीय शेयरों के अधिक मूल्यांकन (stretched valuations) ने बाजार की तेजी को सीमित कर दिया है। Ajit Mishra ने बताया कि जहां ऑटो सेक्टर ने टैक्स कटौती का फायदा उठाया है, वहीं IT और Banking सेक्टर की कमजोरी ने उन लाभों को कम कर दिया है। निवेशक जल्दी-जल्दी मुनाफा बुकिंग कर रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि वे इस तेजी की स्थिरता को लेकर संदेह में हैं। इसके अलावा, कमजोर रुपया, और चीन जैसे सस्ते प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले भारतीय बाजार की कमज़ोरी ने भी निवेशकों की भावना को प्रभावित किया है

Mishra ने कहा कि भारत के घरेलू सुधार सकारात्मक हैं, लेकिन वैश्विक चुनौतियां, मूल्यांकन की चिंता और सेक्टोरल दबाव बाजार की रैली को एशियाई बाजारों के मुकाबले कमज़ोर बनाए हुए हैं। INVasset PMS के Business Head Bhavik Joshi ने कहा कि भारतीय बाजार में जो कमजोरी दिख रही है, वह बुनियादी कारणों से नहीं, बल्कि कई मैक्रोइकॉनॉमिक और सेंटिमेंटल (भावनात्मक) कारणों से है। विदेशी निवेशक अभी भी सतर्क हैं, क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र में मार्जिन सिकुड़ने, बढ़ते उपभोक्ता क्रेडिट तनाव और अमेरिकी टैरिफ की धमकियों के बाद निर्यात प्रतिस्पर्धा कमजोर होने की चिंताएं बनी हुई हैं। इन कारणों से वित्तीय और तकनीकी सेक्टर प्रभावित हुए हैं, जिससे पूरे बाजार पर दबाव पड़ा है। हालांकि घरेलू निवेश सक्रिय बने हुए हैं। GST सुधारों को लेकर भी निवेशकों की उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं। Joshi के मुताबिक, GST सुधार दीर्घकालिक रूप से खपत को बढ़ावा दे सकते हैं, लेकिन अल्पकालिक में टैक्स कटौती का वास्तविक प्रभाव ग्रामीण और निम्न आय वर्ग पर कम नजर आ रहा है, जहां मजदूरी वृद्धि धीमी है। इसके अलावा, Federal Reserve द्वारा ब्याज दर में कटौती की संभावना भी अभी अनिश्चित है, जिससे भारतीय बाजार की तेजी पर असर पड़ रहा है। Stoxkart के CEO Pranay Aggarwal ने कहा कि GST के बदलाव से प्रशासनिक सुधार जरूर हुए हैं, लेकिन सटीक कर दरों में कोई बड़ा बदलाव या किसी विशेष सेक्टर को लाभ देने वाले प्रोत्साहन नहीं मिले हैं। इस वजह से बाजार में कोई तत्काल उत्साह नहीं दिखा

आमतौर पर बाजार उन कदमों पर तेजी से प्रतिक्रिया करता है जो कंपनियों के आय में वृद्धि या खपत मांग में तेजी लाते हैं। चूंकि ऐसे कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले, इसलिए Dalal Street सतर्क रही। रुपये की कमजोरी भी बाजार के लिए एक बड़ी चिंता बनी हुई है। Vibhavangal Anukulakara के Founder Siddharth Maurya ने कहा कि GST से खपत को बढ़ावा मिलने की संभावना है, लेकिन बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा वापस आने और कंपनियों के मुनाफे में स्थिर सुधार होने तक भारतीय बाजार क्षेत्रीय रैलियों से पीछे रह सकता है। Primus Partners के Managing Director Shravan Shetty ने कहा कि भारतीय बाजार में मूल्यांकन का स्तर बहुत ऊंचा हो चुका है, जो इस समय एक बड़ी समस्या बन गया है। भारत का बाजार 2024 में चीन प्लस वन रणनीति के चलते अन्य एशियाई बाजारों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा था, जिससे इसकी वैल्यूएशन ज्यादा हो गई। इस उच्च मूल्यांकन के अलावा अमेरिकी टैरिफ की अनिश्चितता और रुपया कमजोर होना विदेशी निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। इस सारी परिस्थिति में, भारतीय बाजार एक संक्रमण काल से गुजर रहा है। Bhavik Joshi के अनुसार, भारत की मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति मजबूत है, लेकिन वैश्विक जोखिम और विदेशी निवेशकों के व्यवहार के कारण निकट भविष्य में बाजार की दिशा प्रभावित हो सकती है। GST से खपत में सुधार हो रहा है और कंपनियों के मार्जिन स्थिर हो रहे हैं, जिससे लंबी अवधि में बाजार की स्थिति बेहतर होने की उम्मीद है

कुल मिलाकर, भारतीय शेयर बाजार ने अल्पकालिक वैश्विक और घरेलू दबावों के चलते फिलहाल मजबूती नहीं दिखाई है, जबकि एशियाई बाजारों में निवेशक उत्साह बना हुआ है। विदेशी निवेशकों की निकासी, अमेरिकी टैरिफ की धमकियां, कमजोर रुपया और उच्च मूल्यांकन यह सभी कारक भारतीय बाजार की तेजी को सीमित कर रहे हैं। हालांकि घरेलू सुधार और GST के सुधारों के सकारात्मक प्रभाव धीरे-धीरे दिखने लगे तो बाजार में भी सुधार की उम्मीद की जा सकती है

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