Jane Street का SEBI पर बड़ा आरोप: ESCROW पर बेवजह रोक, SAT में बहस तेज

Saurabh
By Saurabh

Jane Street ने Securities Appellate Tribunal (SAT) के समक्ष SEBI के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि उसने SEBI द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद नए ट्रेड से जान-बूझकर बचाव किया, जो कि उसकी सद्भावना का परिचायक है। Jane Street ने SEBI द्वारा निर्देशित Rs 4,843.5 करोड़ की राशि escrow अकाउंट में जमा कर दी थी, लेकिन SEBI ने इस राशि जमा होने के बाद भी ट्रेडिंग प्रतिबंध उठाने में अनावश्यक देरी की। कंपनी का कहना है कि इस प्रतिबंधात्मक रवैये के बावजूद उसने अपनी ट्रेडिंग गतिविधियों में पूर्ण संयम बरतकर ‘अतिरिक्त सतर्कता’ दिखाई, जबकि वह SEBI की जांच के निष्कर्षों से पूरी तरह असहमत है। Jane Street ने अपने याचिका में SEBI की कार्रवाई प्रक्रिया पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। कंपनी का कहना है कि उसने अपने ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी की पूरी जानकारी SEBI को पहले ही दे दी थी, लेकिन SEBI ने इन पूर्व प्रस्तुतियों को नजरअंदाज कर दिया। अगस्त 2024 में Jane Street के प्रतिनिधियों ने कई बार SEBI के साथ बातचीत की और 20 अगस्त 2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी index options रणनीतियों तथा अक्टूबर 2023 और जनवरी 2024 में की गई ट्रेडिंग की विस्तृत व्याख्या भी दी। इसके बावजूद, 31 दिसंबर 2024 को गठित अंतर-विभागीय टीम ने इन जानकारियों को शामिल नहीं किया और आदेश जारी कर दिया। Jane Street ने SEBI और NSE से ‘large delta exposures’ के संबंध में स्पष्ट निर्देश मांगने की भी बात कही। कंपनी ने बताया कि फेब्रुअरी 2025 में NSE ने SEBI से इस विषय पर मार्गदर्शन मांगा था, लेकिन SEBI ने कोई स्पष्ट निर्देश जारी नहीं किया। इस वजह से Jane Street के प्रयासों को सही तरीके से स्वीकार नहीं किया गया और कंपनी के बौद्धिक प्रयासों को नजरअंदाज किया गया

ऐसे में कंपनी ने कहा कि बिना स्पष्ट दिशा-निर्देश के उनकी ट्रेडिंग गतिविधियों को गलत ठहराना उचित नहीं। इसके अलावा Jane Street ने SEBI पर कई अहम दस्तावेजों, ईमेल संवादों और annexures को छिपाने का भी आरोप लगाया है। कंपनी के अनुसार, SEBI ने उन महत्वपूर्ण सबूतों को साझा करने से इनकार कर दिया जो SEBI के भीतर के नोट्स में उल्लेखित हैं। इनमें कुछ संवाद NSE और SEBI की Integrated Surveillance Department (ISD) की रिपोर्ट के बाद हुए थे, जिनमें कोई मनिपुलेशन नहीं पाया गया था। इसके बावजूद SEBI ने अपनी जांच की दिशा बदल दी और Jane Street पर आरोप लगाना शुरू कर दिया। Jane Street ने यह भी आरोप लगाया कि SEBI ने जांच प्रक्रिया को एकतरफा बंद कर दिया और सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों तक उनकी पहुंच रोक दी। Jane Street ने SEBI पर escrow राशि जमा होने के बाद भी ट्रेडिंग प्रतिबंध हटाने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया है। कंपनी का कहना है कि 3 जुलाई के interim order में यह स्पष्ट था कि जैसे ही escrow में राशि जमा होगी, प्रतिबंध स्वतः हटा दिए जाएंगे। लेकिन SEBI ने Rs 4,843.5 करोड़ की राशि जमा होने के बाद भी 10 कार्यदिवस तक ट्रेडिंग प्रतिबंध नहीं हटाए। Jane Street ने कहा कि इस देरी से उन्हें अनुचित नुकसान हुआ और यह प्रक्रिया निष्पक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ है

इस संदर्भ में कई कानूनी विशेषज्ञों ने भी SEBI की इस विलंब प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे। हालांकि Jane Street के आरोपों के खिलाफ कुछ विशेषज्ञों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका मानना है कि जांच प्रक्रिया में बदलाव स्वाभाविक होते हैं क्योंकि नए तथ्य सामने आते रहते हैं। एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान कोई भी पूर्व निर्धारित रुख नहीं होता और जांच एजेंसी को नए सबूतों के आधार पर दिशा बदलने का अधिकार है। इसलिए SEBI द्वारा पिछली रिपोर्ट को नजरअंदाज करने पर सवाल उठाना उचित नहीं होगा। SEBI ने 3 जुलाई के interim order में Jane Street पर गंभीर आरोप लगाए थे कि उसने अपने वित्तीय संसाधनों और एडवांस ट्रेडिंग तकनीक का उपयोग करके index options के दामों को प्रभावित किया जिससे futures और cash markets में expiry days पर कीमतों में अनुचित हेरफेर हुआ। SEBI ने इस कृत्य को securities market में fairness के लिए भारी खतरा बताया और कहा कि यह एक दुर्लभ मामला है जिसमें कई उच्च तरलता वाले स्टॉक्स के दामों को मनिपुलेट कर index option positions का फायदा उठाया गया। इस पूरे विवाद की अगली सुनवाई SAT में 8 सितंबर को होगी, जबकि SEBI के WTM (Whole Time Member) के समक्ष सुनवाई 15 सितंबर को निर्धारित है। Jane Street ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है और SEBI से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। यह मामला भारतीय शेयर बाजार में नियामक और वैश्विक ट्रेडिंग फर्म के बीच बढ़ती जटिलताओं को दर्शाता है, जहाँ नियमों की व्याख्या, पारदर्शिता और नियामक कार्रवाई की प्रक्रिया पर गहन बहस जारी है

Jane Street की इस अपील से यह स्पष्ट हो गया है कि बड़ी ट्रेडिंग फर्म भी regulator के साथ सहयोग के लिए सद्भावना दिखा सकती हैं, लेकिन नियामक के कठोर कदमों और प्रक्रियाओं पर सवाल उठाना भी आवश्यक समझती हैं। ऐसे में अगली सुनवाई में दोनों पक्षों के तर्कों को ध्यान से सुना जाएगा, जो भारतीय शेयर बाजार के नियामक ढांचे की दिशा तय करेगा

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