$5.1 Trillion के भारतीय Stock Market में Domestic Investors का जबरदस्त दबदबा, FIIs कर रहे हैं बिकवाली

Saurabh
By Saurabh

2025 में भारत के $5.1 trillion के स्टॉक मार्केट में Domestic Institutional Investors (DIIs) ने बाजार को मजबूती से सपोर्ट किया है, जबकि Foreign Institutional Investors (FIIs) अपनी हिस्सेदारी घटा रहे हैं। इस साल DIIs द्वारा की गई खरीदारी रिकॉर्ड स्तर के करीब पहुंच चुकी है और इसने विदेशी निवेशकों की बिक्री के दबाव को काफी हद तक संतुलित किया है। आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अब तक DIIs ने लगभग $59 बिलियन के शेयर खरीदे हैं, जो पिछले साल के रिकॉर्ड के बेहद करीब है। इसके विपरीत, FIIs ने करीब $14 बिलियन के शेयर बेचे हैं, क्योंकि उनका पूंजी चीन की ओर मुड़ रही है, जहां के बाजारों ने इस साल जबरदस्त तेजी दिखाई है। Domestic inflows को बढ़ावा देने में रिटेल निवेशकों की भूमिका अहम रही है। इन निवेशकों की Systematic Investment Plans (SIPs) के जरिए लगातार निवेश की आदत ने Mutual Funds की खरीदारी को मजबूत बनाए रखा है। ताजा बाजार डेटा के अनुसार, हाल के महीनों में SIPs में $3 बिलियन से अधिक की राशि आई है। OmniScience Capital के रणनीतिकार Vikas Gupta ने कहा, “रिटेल निवेशकों ने Mutual Funds के माध्यम से निवेश की एक अनुशासित आदत विकसित कर ली है, और यह प्रवृत्ति जारी रहने की संभावना है। ” यह एक बड़ा बदलाव है क्योंकि पहले भारतीय परिवार अपनी बचत बैंक डिपॉजिट, सोना और प्रॉपर्टी में लगाने को प्राथमिकता देते थे, लेकिन अब वे तेजी से इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की ओर रुख कर रहे हैं। Jefferies Financial Group के ग्लोबल हेड ऑफ इक्विटी स्ट्रैटेजी Christopher Wood ने भी इस बदलाव को स्थायी बताया है

Prime Database के आंकड़ों के अनुसार, मार्च में Domestic Institutions का शेयरधारिता लगभग 18% तक पहुंच गई है, जो पहली बार विदेशी निवेशकों के शेयरधारिता से ज्यादा है। यह घरेलू निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी का साफ संकेत है। मगर, इसके बावजूद भारतीय शेयर बाजार की प्रदर्शन क्षमता क्षेत्रीय बाजारों के मुकाबले कम रही है। NSE Nifty 50 Index ने इस साल लगभग 4% की बढ़त दर्ज की है, जबकि चीन का बाजार 15% ऊपर गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे stretched valuations, कमज़ोर कॉर्पोरेट आय, और अमेरिकी टैरिफ का असर है। हाल ही में अमेरिका ने कुछ भारतीय निर्यात उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाया है, जिससे आर्थिक विकास और कंपनियों की मुनाफाखोरी पर चिंता बढ़ गई है। इसके बावजूद, विशेषज्ञों का विश्वास है कि घरेलू निवेशक वैश्विक घटनाक्रमों से विचलित नहीं होंगे और भारतीय शेयर बाजार में उनकी आस्था मजबूत बनी रहेगी। OmniScience Capital के Vikas Gupta ने कहा, “भारतीय निवेशकों का भरोसा स्थानीय शेयरों पर अडिग है, और वे वैश्विक उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होते। ” यह विश्वास बाजार को स्थिर रखने में मदद करेगा। इस प्रकार, जहां विदेशी निवेशक अपने पोर्टफोलियो को पुनः समायोजित कर रहे हैं, वहीं भारतीय रिटेल निवेशकों की Mutual Funds के जरिए लगातार निवेश की प्रतिबद्धता बाजार को आने वाले महीनों में मजबूती प्रदान करेगी

घरेलू संस्थागत निवेशकों के दबदबे ने भारतीय स्टॉक मार्केट को विदेशी बिकवाली के दबाव में सहारा दिया है, जो भविष्य में भी बाजार की स्थिरता के लिए अहम साबित होगा

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